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संस्कृत से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

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संस्कृत, संसार की सबसे पुरानी पुस्तक वेद की भाषा है. इसलिए इसे विक्ष्व की प्रथम भाषा मानने में कही किसी संशय की संभावना नही है.

 इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है.

संस्कृत में हिन्दु धर्म से संम्बंन्धित सभी धर्मग्रन्थ लिखे गये हैं.

बौद्ध धर्म और जेन धर्म के भी कई महत्वपूर्ण ग्रंन्थ संस्कृत में लिखे गए हैं.

आइए हमारी इस उन्नत भाषा के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानते हैं-

1987 में अमरीका की फोब्र्स पत्रिका के अनुसार संस्कृत कंप्युटर प्रोग्रामिंग के लिए सबसे अच्छी भाषा है. क्योंकि इसकी व्याकरण प्रोग्रामिंग भाषा से मिलती जुलती है.


जर्मन स्टेट युनिवर्सिटी के अनुसार हिंदु कैलेंडर वर्तमान समय में इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे अच्छा कैलेंडर है. क्योंकि इस कैंलेडर में नया साल सौर प्रणाली के भूवैज्ञानिक परिवर्तन के साथ शुरू होता है.


संस्कृत साहित्य का अधिकतर साहित्य पद्य में रचा गया है, जब कि अन्य भाषाओं का ज़्यादातर साहित्य गद्य में पाया जाता है.


अमेरिकन हिंदु युनिवर्सिटी के अनुसार संस्कृत में बात करने वाला मनुष्य बीपी, मधुमैह, कोलेस्ट्रॉल आदि रोग से मुक्त हो जाएगा. संस्कृत में बात करने से मानव शरीर का तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है जिससे कि व्यकति का शरीर सकारात्मक आवेश के साथ सक्रिय हो जाता है.


नासा के पास 60,000 ताड़ के पत्तों की पाडुलिपियां है जिन पर वे अध्ययन कर रहें हैं. एक रिपोर्ट का कहना है के रूसी , जर्मन, जापानी और अमेरिकी सक्रिय रूप से हमारी पवित्र पुस्तकों से नई चीजों पर शोध कर रहे हैं और उन्हें वापस दुनिया के सामने अपने नाम से रख रहे हैं.


दुनिया के 17 देशों में एक या अधिक संस्कृत विक्ष्वविद्यालय संस्कृत के बारे में अध्ययन और नई प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के लिए हैं, पर संस्कृत को समर्पित उसके वास्तविक अध्ययन के लिए एक भी संस्कृत
विक्ष्वविद्यालय भारत में नही है.


दुनिया की 97 प्रतीशत भाषाएँ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसी भाषा से प्रभावित हैं. हिन्दी, उर्दु, कश्मीरी, उड़िया, बांग्ला, मराठी, सिन्धी और पंजाबी भाषा की उत्पती संस्कृत से ही हुई है.


नासा वैज्ञानिक द्वारा एक रिपोर्ट है कि अमेरिका 6वी और 7वी पीढ़ी के सुपर कंप्युटर संस्कृत आधारित बना रहा है. जिससे सुपर कंप्युटर अपनी अध्कितम सीमा तक उपयोग किया जा सके.


अमेरिका, रूस, स्वीडन,जर्मनी, इंग्लैंड, फ्रांस, जापान और ऑस्ट्रेलीया वर्तमान में भरत नाट्यम और नटराज के महत्व के बारे में शोध कर रहै हैं. (नटराज शिव जी का कॉस्मिक नृत्य है. जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के सामने शिव या नटराज की एक मुर्ति है.)


इंग्लैंड़ वर्तमान में हमारे श्री-चक्र पर आधारित एक रक्षा प्रणाली पर शोध कर रहा है.
विक्ष्व की सभी भाषाओं में एक शब्द का एक या कुछ ही रूप होते हैं, जबकि संस्कृत में प्रत्येक शब्द के 25 रूप होते हैं.


शोध से पाया गया है कि संस्कृत पढ़ने से स्मरण शक्ति(यादआशत) बढ़ती है.


संस्कृत वाक्यों में शब्दों की किसी भी क्रम में रखा जा सकता है. इससे अर्थ का अनर्थ होने की बहुत कम या कोई भी सम्भावना नही होती. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सभी शब्द विभक्ति और वचन के अनुसार होते हैं. जैसै- अहं गृहं गच्छामि या गच्छामि गृहं अहं दोनो ही ठीक हैं.


नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार जब वो अंतरिक्ष ट्रैवलर्स को मैसेज भेजते थे तो उनके वाक्य उलट हो जाते थे. इस वजह से मैसेज का अर्थ ही बदल जाता था. उन्होंले कई भाषाओं का प्रयोग किया लेकिन हर बार यही समस्या आई. आखिर में उन्होंने संस्कृत में मैसेज भेजा क्योंकि संस्कृत के वाक्य उलटे हो जाने पर भी अपना अर्थ नही बदलते हैं. जैसा के उपर बताया गया है.
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