एड्स
कुछ वक्त पहले तक एड्स का मतलब जिंदगी का अंत था, लेकिन आज इसे नियंत्रित करके इसके साथ जिया जा सकता है। एड्स का कोई इलाज नहीं है, इसलिए यह जरूरी है कि इसके बारे में जानकारी रखी जाए। आइए, विश्व एड्स दिवस (1 दिसम्बर) के अवसर पर एड्स से बचाव के बारे में जानें
आज भी आमतौर पर लोगों के मन में यही धारणा होती है कि एड्स रोगी के साथ उठने-बैठने, हाथ मिलाने, खाना खाने आदि से भी यह रोग फैलता है। लेकिन यह केवल भ्रम है। एड्स पीड़ित व्यक्ति के साथ नम्र व्यवहार बहुत जरूरी है, ताकि वह भी सामान्य जीवन जी सके।
क्या है एड्स
एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम (Acquired Immuno Deficiency Syndrome ) यानी एड्स एक ऐसी बीमारी है, जो एचआईवी नामक वायरस से फैलती है। यह वायरस शरीर में घुसने के बाद सफेद रक्त कणिकाओं पर हमला करता है और उन्हें नष्ट कर देता है। इन कोशिकाओं के खत्म होने के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है, नतीजतन कई तरह के संक्रमण होने लगते हैं। एचआईवी संक्रमण की अंतिम स्थिति को एड्स कहा जाता है। इस रोग से बचाव का एकमात्र उपाय सावधानी ही है।
खोज
1983 में फ्रांस के लुक मॉन्टेगनियर और फ्रांसोआ सिनूसी ने एलएवी वायरस की खोज की.
Look Monte Gniyr ( लुक मॉन्टेगनियर )
Francois Sinusi ( फ्रांसोआ सिनूसी )
इसके एक साल बाद अमेरिका के रॉबर्ट गैलो ने एचटीएलवी 3 वायरस की पहचान की.
Robert Gallo ( रॉबर्ट गैलो )
1985 में पता चला कि ये दोनों एक ही वायरस हैं.
1985 में मॉन्टेगनियर और सिनूसी को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
जबकि गैलो ने अपने परीक्षण का पेटेंट कराया.
1986 में पहली बार इस वायरस को एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस का नाम मिला.
क्यों होता है यह
*** AIDS अब तक सबसे ज्यादा अध्ययन की जाने वाली बिमारी है. AIDS के कारण ***
- पीड़ित व्यक्ति के साथ असुरक्षित सेक्स संबंध
- दूषित खून से
- दुषित टीको और सुईओं से
- पीड़ित माता के गर्भ में पल रहे बच्चे को और
- समलैंगिक संबंध
रोग के लक्षण
संक्रमित होने पर वजन कम होने लगता है
लंबे समय तक बुखार बना रह सकता है
शरीर में गिल्टियां बढ़ जाती हैं
जीभ पर भी काफी जख्म हो सकते हैं
छोटे-छोटे संक्रमणों का शरीर पर हमला होना और रोग बन जाना आम हो जाता है
AIDS से बचाव
पीड़ित साथी के साथ सेक्स संबंध न बनाएँ
खून को चढ़ाने से पहले जांच लें और
उपयोग की हुई सुईओं और टीके दुबारा न उपयोग करें।
उपचार
एड्स का कोई उपचार नहीं है। सबसे ज्यादा जरूरी है कि शरीर में एचआईवी संक्रमण पाए जाने पर धैर्य न खोएं
एड्स का मतलब मौत ही नहीं। ऐसे भी कई लोग हैं, जो इस संक्रमण से पीड़ित होने के बावजूद लंबे समय से अपना जीवन जी रहे हैं
संक्रमण पाए जाने पर डॉक्टरों के बताए निर्देशों का पालन करें
सही वक्त पर और सही तरीके से दवाओं का सेवन करें
एक स्वस्थ दिनचर्या से आप इस संक्रमण को नियंत्रित कर सकते हैं
एच.ए.ए.आर.टी. (हाइली एक्टिव एंटी रेटरो वायरस थेरेपी) सभी एड्स सेंटरों पर नि:शुल्क उपलब्ध हैं। यह इस रोग को नियंत्रित करने का एक साधारण-सा उपचार है
एड्स के बारे में रोचक तथ्य
विक्ष्व एड्स दिवस 1 दिसंबर को मनाया जाता है. सबसे पहली बार यह 1 दिसंबर 1988 को मनाया गया था।
AIDS का International Symbol लाल रिबन है जो 1991 में अपनाया गया था।
AIDS चार शब्दों से बना है
Acquired = जो आप ने प्राप्त किया
Immuno = शरीर की प्रतिरक्षा
Deficiency = कमी और
Syndrome = संलक्षन.
इसका अर्थ है कि वह बिमारी जो आपके शरीर की खुद की रक्षा करने की Power को कम कर देती है।
HIV का अर्थ है
Human = मानव
Immuno deficiency = जो प्रतिरक्षा को कम करे और
Virus = विषाणु.
HIV VIRUS
अर्थात् वह विषाणु जो किसी शरीर के अंदर उसकी रक्षा करने की शक्ति को कम करे।
दुनिया में लगभग 4 करोड़ लोग AIDS से पीड़ित है इन में से 2 करोड़ 10 लाख तो ऐसे है जो 15 साल से नीचे हैं।
इस बिमारी से अब तक 2 करोड़ 50 लाख लोगों की मौत हो चुकी है।
HIV विषाणु अफ्रीका में उभरा और 10 साल के भीतर ही पुरी दुनिया में फैल गया।
दुनिया में AIDS के 65 प्रतीशत मामले अफ्रीका के सहारा क्षेत्र में है इनमें से
90 प्रतीशत बच्चे हैं।
एक अनुमान के अनुसार 2011 में लगभग 25 लाख लोग एड्स से प्रभावित हुए जिनमें से 17 लाख की मौत हो चुकी है।
अमरीका में लगभग 11 लाख से ज्यादा लोग HIV से पीड़ित है और इनमें से 18.1 प्रतीशत को यह भी नही जानते कि उन को यह बिमारी है।
HIV विषाणु कमरे के तापमान (25 डिग्री C) पर भी सूखे खून में 10-15 दिन तक जीवित रह सकते है. जैसे के उपयोग किए हुए टीके जा सुई में ।
HIV विषाणु 60 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान होने पर मारे जाते है।
HIV दुसरे विषाणुओं की तरह समुद्र के पानी में ज्यादा देर तक जिंदा नही रह सकते।
दुनिया में हर दिन लगभग 900 बच्चे HIV विषाणु के प्रभाव में आते हैं।
HIV विषाणु के अब तक दो प्रकार सामने आए है :-
HIV-1 (चिम्पांजी की प्रजाति से) और
HIV-2 (मैंगेबी बंदर की प्रजाति से).
HIV-1 आसानी से फैलता है और ज्यादा खतरनाक है जबकि HIV-2 आसानी से नही फैलता.
दुनिया में HIV-1 के पीड़ित HIV-2 से कहीं ज्यादा है.
HIV-2 सिर्फ पक्ष्चिम अफ्रीका तक सीमित है.
HIV से संबंधित सबसे सरल सिद्धांत को 'Hunter Theory' कहा जाता है।
दुनिया में HIV सबसे ज्यादा सेक्स संबंधो के कारण फैलता है इसके बाद गर्भ में पल रहे बच्चे को माता से, फिर ड्रगस लेने वाले सामान को दूसरों से Share करके और इसके बाद दूषित खुन और Health Care में उपयोग होने वाले दूषित सामान जैसे टीके-सुई आदि से होता है।
दक्षिणी अफ्रीका में HIV के सबसे ज्यादा 59 लाख पीड़ित हैं इसके बाद 40 लाख दक्षिणी एशिया में है जिनमें से 24 लाख भारत के है।
Botswana (दक्षिणी अफ्रीका के उत्तर स्थित पड़ोसी देश) में AIDS के कारण लोगों का औसत जीवन काल 65 साल से घट कर 35 साल रह गया है।
एचआईवी सबसे पहली बार 19वीं सदी की शुरुआत में जानवरों में मिला था. माना जाता है की इंसानों में यह चिंपांजी से आया.
1959 में कांगो के एक बीमार आदमी के खून का नमूना लिया गया. कई साल बाद डॉक्टरों को उसमें एचआईवी वायरस मिला. माना जाता है कि यह पहला एचआईवी संक्रमित व्यक्ति था.
कई बार ऐसा होता है कि एचआईवी से ग्रसित होने के बाद भी कोई मरीज पूरी तरह से एड्स का शिकार नहीं होता.
अब वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया है कि ऐसा क्यों होता है.
उन्हें लगता है कि एचआईवी वायरस के जीनों के एक ख़ास उत्परिवर्तन या म्यूटेशन के कारण ऐसा होता है जिससे ये वायरस प्रतिरोधी कोशिकाओं को समाप्त नहीं कर पाते.
दरअसल इन प्रतिरोधी कोशिकाओं की कमी के ही कारण शरीर में ऐसे संक्रमण हो जाते हैं जिससे एड्स होता है.और अगर इन प्रतिरोधी कोशिकाओं को कम नहीं होने दिया जाए तो कुछ लोगों में एचआईवी होने के बावजूद एड्स नहीं होता.
टीका
आज तक एचआईवी के रोकथाम के लिए कोई टीका नहीं बन पाया है. यह वायरस कई तरह का होता है और शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली पर बुरा असर डालता है. वैज्ञानिकों के लिए यह टीका चुनौती बना हुआ है.